tag:blogger.com,1999:blog-1912665113062325392024-03-05T23:58:31.725-08:00Abhishek Kumar Mishra - Hindi Poetry Collection"If in other lands the press and books and literature of all kinds are censored, we must redouble our efforts here to keep it free. Books may be burned and cities sacked, but truth, like the yearning for freedom, lives in the hearts of humble men and women."
Watch your actions; they become habits,
Watch your habits; they become character,
Watch your character; it becomes your destiny.Unknownnoreply@blogger.comBlogger396125tag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-1673907446984571682013-12-24T22:50:00.002-08:002013-12-24T22:50:44.023-08:00क्या कहूंक्या कहूं, तुम से मैं कि क्या है इश्क,
जान का रोग है, बला है इश्क़,
इश्क़ ही इश्क़ है, जहाँ देखो,
सारे आलम में भर रहा है, इश्क़,
इश्क़ माशूक़, इश्क़ आशिक़ है,
यानी अपना ही मुब्तला है इश्क़,
इश्क़ है तर्ज़-अ-तौर, इश्क़ के तयीन,
कहीं बंदा, तो कहीं खुदा भी है इश्क़,
कौन "मकसद" को, इश्क़ बिन पहुँचता,
आरजू इश्क़ वा मुददा है इश्क़,
कोई ख्वाहाँ नहीं मुहब्बत का,
तू कहे जिंस-ए-नारवा है इश्क़,
मीर जी ज़रद होते जाते है,
क्याUnknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-14996300759202520642013-12-13T06:13:00.003-08:002013-12-13T06:13:53.669-08:00मेरे हाल परमेरे हाल पर छोड़ दो मुझे तुम,
ख़्वाबों को जगाने वाले,
काँपते हाथ हैं ,
पाँव भी ना डगमगा जाएँ कहीं,
हमनें सीखा है सूखी रेत पर चलना,
हमें तुम उड़ते परिन्दों से भाव ना दो,
डगर-डगर चुभते राह में काँटे हैं,
फूलों का हसीन हमें तुम ख़्वाब ना दो ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-91429909576638000752013-12-04T05:17:00.002-08:002013-12-04T05:17:09.021-08:00यूँ चुप रहना ठीक नहींयूँ चुप रहना ठीक नहीं, कोई मीठी बात करो,
मोर, चकोर, पपीहा, कोयल सब को मात करो,
सावन तो मन बगिया से बिन बरसे बीत गया,
रस में डूबे नग़्मे की अब तुम बरसात करो ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-88256539715566429002013-11-19T18:47:00.002-08:002013-11-19T18:47:19.444-08:00यूँ हीयूँ ही, रक्खा था किसी ने, "संग" इक दीवार पर,
सर झुकाए मैं खड़ा था, वो "ख़ुदा" बनता गया,
कौन है वो, "पाक दामन", जो हर इक लहजे से है,
"गलतियां" होती गईं और ये जहां बनता गया ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-64567054239627966462013-11-18T01:10:00.002-08:002013-11-18T01:11:10.108-08:00आज हम हैंआज, हम हैं कल हमारी "यादें" होंगी,
जब हम ना होंगे, तब हमारी बातें होंगी,
कभी पलटोगे जिंदगी के ये "पन्ने",
तब, शायद आपकी आंखों से भी बरसातें होंगी ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-768362483555319552013-11-17T17:11:00.000-08:002013-11-17T17:11:09.411-08:00सोचते-सोचतेसोचते-सोचते "दिल" डूबने लगता है मेरा,
इस, जहान की "तह" में "मुज़फ्फर" कोई दरिया तो नहीं,
रूह को "दर्द" मिला दर्द को "आँखें" ना मिली,
तुझको, महसूस किया है, तुझे देखा तो नहीं,
मेरी "तस्वीर" में रंग और किसी का तो नहीं,
घेर लें, मुझको सब आँखें, मैं तमाशा तो नहीं ।।
Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-90624628954449349422013-11-10T22:35:00.002-08:002013-11-10T22:35:41.439-08:00रंज-ओ-आरज़ू रंज-ओ-आरज़ू ये दोनोँ बिकते नहीँ दुकानोँ मेँ
इक पले आँख के गोशे,दूजा दिल के ताने-बाने मेँ
ढूँढ ही लीजिए उसे दिल मेँ,चाहे जिस दिल
क्या ज़रुरत है जाने की किसी सनमख़ाने मेँ
चाँद सुनते हैँ साल मेँ एक बार मय बरसाता है
क्या ज़रुरत है रोज़-रोज़ जाने की किसी मयख़ाने मेँ
हो के बेचैन ख़ुदा भी मस्जिदोँ से कभी निकल आता है
सुनते हैँ ऐसा असर भी होता है फ़कीरोँ के गाने मेँ
कभी चंद घड़ियोँ मेँ ही रात आसमाँ Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-34235247436678238802013-11-09T05:30:00.001-08:002013-11-09T05:30:17.328-08:00मैं वहीँ हूँमैं वहीँ हूँ, जहाँ से तुम आगे निकल गए थे,
हालात भी वही है, बस फर्क इतना है कि अब,
तुम्हारे अपने रस्ते है, मेरी अपनी "मंजिल" है,
तुम्हे "मंजिल" नहीं दिखती, मुझे रास्ता नहीं दिखता ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-28520212394024492892013-10-22T07:36:00.003-07:002013-10-22T07:37:24.967-07:00वो दिनवो "दिन" दिन नही, वो "रात" रात नही,
वो "पल" पल नही, जिस पल तेरी बात नही,
तेरी यादो में हम शामिल थे कि नहीं, ये और बात है,
मेरी यादों में तेरे सिवा किसी और का, नाम नहीं,
सदियों जुदा रहा हूँ तुझसे, आज मिले हो,
आज जी लेने दे जी भरके,
कि अगली सदी को तुझपे ठुकरा रहा हूँ मैं ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-56367746830981420832013-10-22T07:34:00.000-07:002013-10-22T07:34:39.402-07:00अपने सिवाअपने सिवा हमारे न होने का ग़म किसे,
अपनी तलाश में तो हम ही हम है,
कुछ आज शाम ही से है "दिल" भी बुझा-बुझा,
कुछ इस शहर के चराग भी मद्धमUnknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-1419160066077580152013-10-20T10:15:00.001-07:002013-10-20T10:15:06.109-07:00गम को समझ कर देंन इश्वर कीगम को समझ कर देंन इश्वर की, बस मुस्कुराते रहे हम
जब भी मिले यारों से, गम छुपाकर हँसते-हंसाते रहे हम
मोहब्बत की थी, इक यही था शायद कुसूर हमारा,
वो शिकस्त देते चले गए और मात खाते रहे हम
नश्तर से चुभोते थे सदा वो अपनी कड़वी बातों से,
हमने तो किया था प्यार, सब कुछ भुलाते रहे हम
जो भी कहा उससे मुकर गए वे कई बार जाने क्यूँ,
हमने तो किये थे वादे दिल से, सो निभाते रहे हम
जो मारी ठोकर अपनों ने तो गिर Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-78919132075594525592013-10-16T16:24:00.002-07:002013-10-16T16:24:35.550-07:00रात के मुसाफ़िर हैरात के मुसाफ़िर है, दम ले ना सकेंगे,
सहर के होने तक, मुसलसल चलते रहेंगे,
माना कि, सर्द सिरहन, तड़पन सी है रूह-ए-सफ़र में,
पर सुकून-ऐ-मंजिल भी हासिल होगा, सफ़र के ज़रस में,
माना कि स्याह रात है, कि बस रूकती ही नहीं,
उस पर "ज़िन्दगी" है, कि बस थमती ही नहीं,
आएगी सहर, मुसाफ़िर-ए-सफ़र,
भर ले दम इक दफ़ा फिर,
रख यकीं कि आज तू ही है, तेरा ख़ुद "हमसफ़र" ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-17255503564235338042013-10-15T20:12:00.002-07:002013-10-15T20:12:52.810-07:00ग़ज़ल का साज़ उठाओ"ग़ज़ल" का साज़ उठाओ, बड़ी "उदास" है रात,
"नवा-ए-मीर" सुनाओ, बड़ी उदास है रात,
कहें ना तुमसे, तो फिर और किसे जाके कहे,
स्याह "जुल्फ़" के सायों, बड़ी "उदास" है रात ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-12638251081573255262013-10-14T23:26:00.003-07:002013-10-14T23:27:07.476-07:00वो दिनवो "दिन" दिन नही, वो "रात" रात नही,
वो "पल" पल नही, जिस पल तेरी बात नही,
तेरी यादो में हम शामिल थे कि नहीं, ये और बात है,
मेरी यादों में तेरे सिवा किसी और का, नाम नहीं,
सदियों जुदा रहा हूँ तुझसे, आज मिले हो,
आज जी लेने दे जी भरके,
कि अगली सदी को तुझपे ठुकरा रहा हूँ मैं ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-91906478958541343712013-10-14T23:26:00.000-07:002013-10-14T23:26:10.354-07:00फैसला जो कुछ भी हो"फैसला" जो कुछ भी हो, मंजूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क, भरपूर होना चहिये,
"भूलना" जरूरी है, याद रखने के लिए,
पास रहना हो, तो थोडा "दूर" होना चाहिए ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-57673766678211452882013-10-14T18:07:00.001-07:002013-10-14T18:07:56.458-07:00हर सपनाहर सपना, सिर्फ ख़ुशी पाने से पूरा नहीं होता,
तू अगर जो होता साथ, तो मैं भी अधुरा नहीं होता,
जो "चाँद" रोशन करता है रात भर शब् को,
हर रात वो भी तो पूरा नहीं होता ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-56520775153037056042013-10-12T19:23:00.000-07:002013-10-12T19:23:19.024-07:00वो बेदर्द है बड़ावो "बेदर्द" है बड़ा, यूँ दिल तोड़ जाता है,
आदत बिगाड़कर, साथ छोड़ जाता है,
हर "रात" ज़ख्म पुराने कुरेद देती है,
हर दिन, नया कोई "ग़म" जोड़ जाता है,
उसकी, अदा-ऐ-फरेब की इन्तिहाँ देखो,
दिखाकर "मंजिल" फिर राहें मोड़ जाता है,
ग़म-ऐ-दुनिया से तो हम, टस से मस नहीं होते,
तेरा "ग़म" रूह तक को झंझोड़ जाता है ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-40557172895264341812013-10-11T21:22:00.002-07:002013-10-11T21:23:02.540-07:00मेरे जिस्म सेमेरे "जिस्म" से, मेरी "रूह" निकाल दी उसने,
मुझे उदास रहने की आदत डाल दी उसने,
मैंने जब कभी भी उसे अपना बनाना चाहा,
ज़माने के असर से, मेरी बात टाल दी उसने,
किसी ने उससे पूछा "मोहब्बत" क्या होती है,
पहले रोई बहुत वो, फिर मेरी मिसाल दी उसने ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-74901229416820058832013-10-02T23:01:00.002-07:002013-10-02T23:01:04.718-07:00न दिखाओ चलते-चलतेन दिखाओ चलते-चलते, यूँ कदम-कदम पर "शोख़ी",
कोई "क़त्ल" हो रहा है, सर-ए-आम चुपके-चुपके,
ये जो "हिचकियाँ'" मुसलसल, मुझे आ रही है "आलम",
कोई ले रहा है, शायद मेरा नाम चुपके-चुपके ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-6149191987336567862013-09-30T05:48:00.002-07:002013-09-30T05:48:52.661-07:00उस रोज़ उस रोज़ जब साहिल के क़रीब छोड़ लौटते सूरज का हाथ थामेँ,
तेज क़दमोँ से आगे की ज़ानिब बढ़ती चली जा रही थी,
मैँ चुपचाप उस मंज़र को देर तलक देखता रहा,
मटियाले अंधेरोँ से रस्साकसी करती,
मेरी ऊम्मीदेँ बदहवास सिसकियाँ भर रही थीँ,
चंद लम्होँ मेँ हीँ तुम ओझल हो चुकी थी,
उस शब लगा मैँ वहम मेँ जी रहा था,
वक़्त को भला कोई रोक सकता है क्या !
Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-90566177375645684302013-09-28T10:22:00.003-07:002013-09-28T10:22:58.126-07:00ना मुहब्बत, ना दोस्तीना "मुहब्बत", ना "दोस्ती के लिए, "वक़्त" रुकता नहीं किसी के लिए,
वक़्त के साथ-साथ चलता रहे, यही बेहतर है, "आदमी" के लिए ।
हर कोई "प्यार" ढूँढता है यहाँ, अपनी "तन्हा" सी ज़िन्दगी के लिए,
दिल को अपने सज़ा ना दे, यूँ ही, इस ज़माने की बेरुखी के लिए,
"वक़्त" रुकता नहीं किसी के लिए, ना "मुहब्बत", ना "दोस्ती के लिए ।।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-7704873939151882912013-09-25T19:14:00.002-07:002013-09-25T19:14:17.992-07:00शहर की रात और मैंशहर की रात और मैं, नाशाद-ओ-नाकारा फिरूँ
जगमगाती जागती, सड़कों पे आवारा फिरूँ
ग़ैर की बस्ती है, कब तक दर-ब-दर मारा फिरूँ
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
झिलमिलाते कुमकुमों की, राह में ज़ंजीर सी
रात के हाथों में, दिन की मोहिनी तस्वीर सी
मेरे सीने पर मगर, चलती हुई शमशीर सी
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
ये रुपहली छाँव, ये आकाश पर तारों का जाल
जैसे सूफ़ी का तसव्वुर, Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-73937717171733488602013-09-23T20:48:00.000-07:002013-09-23T20:48:02.501-07:00ख़्वाब है तू"ख़्वाब" है तू, नींद हूँ मैं, दोनों मिले तो रात बने,
रोज़ यही मांगू दुआ, तेरी मेरी बात बने,
मैं रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी
मुझे खुद में घोल दे तू, मेरे यार बात बन जानी ।।
Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-27301289261251618762013-09-23T04:31:00.002-07:002013-09-23T04:31:07.739-07:00कीजिये क्या गुफ्तगूकीजिये क्या गुफ्तगू, क्या उनसे मिलके सोचिए,
दिल शिकस्ता "ख्वाहिशों" का ज़ायका रह जायेगा ।
तू नहीं तो ज़िन्दगी में, और क्या रह जायेगा,
दूर तक "तन्हाइयों" का सिलसिला रह जायेगा ।Unknownnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-191266511306232539.post-79297311655944515322013-09-20T23:35:00.002-07:002013-09-20T23:35:49.351-07:00कभी गुंचा, कभी शोलाकभी गुंचा, कभी शोला, कभी शबनम की तरह,
लोग मिलते हैं बदलते "मौसम" की तरह ।
कैसे हमदर्द हो तुम, कैसी मसीहाई है,
दिल पे "नश्तर" भी लगते हो "मरहम" की तरह ।।
Unknownnoreply@blogger.com