वो ठहरता क्या कि गुज़रा तक नहीं जिसके लिए
घर तो घर हर रास्ता आरास्ता मैंने किया।
ये दिल जो तुझको ब ज़ाहिर भुला चुका भी है
कभी-कभी तेरे बारे में सोचता भी है।
सुना है बोलें तो बातों से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो बात करके देखते हैं
ये कौन है सरे साहिल कि डूबने वाले
समन्दरों की तहों से उछल के देखते हैं
उसकी वो जाने उसे पासे-वफ़ा था कि न था
तुम फ़राज़ अपनी तरफ़ से तो निभाते जाते।
वो ज़ीना-ब-जीना बड़े आराम से उतरे!
contributed by, ABHISHEK