दिल ही तो है

दिल ही तो है सन्--ख़िश् दर् से भर आए क्यूँ
रोएंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ

दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्तां नहीं
बैठे हैं रह-गुज़र पह हम ग़ैर हमें उठाए क्यूँ

जब वह जमाल- दिल-फ़ुरोज़ सूरत- मिह्- नीम-रोज़
आप ही हो नज़ारह-सोज़ पर्दे में मुंह छुपाए क्यूँ

दश्नह- ग़म्ज़ह जां-सितां नावुक- नाज़ बे-पनाह
तेरा ही `अक्- रुख़ सही साम्ने तेरे आए क्यूँ

क़ैद- हयात--बन्- ग़म अस् में दोनों एक हैं
मौत से पह्ले आद्मी ग़म से निजात पाए क्यूँ

हुस् और उस पह हुस्- ज़न् रह गई बूल-हवस की शर्
अप्ने पह `तिमाद है और को आज़्माए क्यूँ

वां वह ग़ुरूर- `इज़्--नाज़ यां यह हिजाब- पास- वज़`
राह में हम मिलें कहां बज़् में वह बुलाए क्यूँ

हां वह नहीं ख़ुदा-परस् जाओ वह बेवफ़ा सही
जिस को हो दीन--दिल `अज़ीज़ उस की गली में जाए क्यूँ

ग़ालिब- ख़स्तह के बग़ैर कौन-से काम बन् हैं
रोइये ज़ार ज़ार क्या कीजिये हाय हाय क्यूँ ..!
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contributed by, Abhishek

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