दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें
दिल भी माना नहीं के तुझसे कहें
आज तक अपनी बेकली का सबब
ख़ुद भी जाना नहीं के तुझसे कहें
बेतरह हाले दिल है और तुझसे
दोस्ताना नहीं के तुझसे कहें
एक तू हर्फ़ आशना था मगर
अब ज़माना नहीं के तुझसे कहें
ऐ ख़ुदा दर्द-ए-दिल है बख़्शिश-ए-दोस्त
आब-ओ-दाना नहीं के तुझसे कहें
अब तो अपना भी उस गली में "अभिषेक"
आना जाना नहीं के तुझसे कहें!
contributed by, ABHISHEK
आना जाना नहीं के तुझसे कहें!
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