चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर

"आप की याद आती रही रात भर

चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर"


गाह जलती हुई, गाह बुझती हुई

शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात भर


कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन

कोई तस्वीर गाती रही रात भर


फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले

कोई किस्सा सुनाती रही रात भर


जो न: आया उसे कोई ज़ंजीर-ए-दर

हर सदा पर बुलाती रही रात भर


एक उम्मीद से दिल बहलता रहा

इक तमन्ना सताती रही रात भर!

गाह= कभी; शम-ए-ग़म= ग़म का दीपक;

पैरहन=वस्त्र; साया-ए-शाख-ए-गुल=फूलों भरी डाली की छाया;

ज़ंजीर-ए-दर=दरवाज़े की कुंडी; सदा=आवाज़

contributed by, ABHISHEK


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