बात बस से निकल चली है
दिल की हालत संभल चली है
जब जुनूं हद से बढ़ चला है
अब तबीयत बहल चली है
अश्क़ ख़ूनाब हो चले हैं
ग़म की रंगत बदल चली है
या यूं ही बुझ रही है शमाएं
या शबे-हिज़्र टल चली है
लाख पैग़ाम हो गये हैं
जब सबा एक पल चली है
जाओ अब सो रहो सितारों
दर्द की रात ढल रही है!
contributed by, ABHISHEK
दिल की हालत संभल चली है
जब जुनूं हद से बढ़ चला है
अब तबीयत बहल चली है
अश्क़ ख़ूनाब हो चले हैं
ग़म की रंगत बदल चली है
या यूं ही बुझ रही है शमाएं
या शबे-हिज़्र टल चली है
लाख पैग़ाम हो गये हैं
जब सबा एक पल चली है
जाओ अब सो रहो सितारों
दर्द की रात ढल रही है!
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