यही कहा था मेरे हाथ में है आईना
तो मुझपे टूट पड़ा सारा शहर नाबीना
मेरे चिराग तो सूरज के हम-नसब निकले
गलत था अब के तेरी आंधियों का तखमीना
ये ज़ख्म खाईयो सर पर ब-पासे-दस्ते-सुबू
वो संगे-मोहतसिब आया, बचाईयो मीना
हमें भी हिज़्र का दुख है ना कुर्ब की ख्वाहिश
सुनो की भूल चुके हम भी अहदे- पारीना
उस एक शख्स की सज-धज गजब की थी अभिषेक
मैं देखता था उसे, देखता था आईना!
contributed by, ABHISHEK
तो मुझपे टूट पड़ा सारा शहर नाबीना
मेरे चिराग तो सूरज के हम-नसब निकले
गलत था अब के तेरी आंधियों का तखमीना
ये ज़ख्म खाईयो सर पर ब-पासे-दस्ते-सुबू
वो संगे-मोहतसिब आया, बचाईयो मीना
हमें भी हिज़्र का दुख है ना कुर्ब की ख्वाहिश
सुनो की भूल चुके हम भी अहदे- पारीना
उस एक शख्स की सज-धज गजब की थी अभिषेक
मैं देखता था उसे, देखता था आईना!
नाबीना - अन्धा, हम नसब - बराबर वाला, ब-पासे-दस्ते-सुबू - हाथ के जाम को बचाते हुए
संगे-मोहतसिब - धर्माधिकारी का पत्थर, अहदे-पारीना - पुराना वचन, पुराना युग.
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