दो कदम

दो कदम साथ मेरे तुम भी चलो तो ज़रा,
कभी तन्हाई में बैठकर दिल की बात सुनो तो ज़रा.

इस रुख ऐ अफताब को परदे में न छुपाओ तुम,
क्या जाएगा तुम्हारा चाँद को देख लेने दो तो ज़रा.

माना के हसीं हो तुम हम भी जवान कम नहीं,
हुस्न अधूरा है इश्क बिना हमारी कदर करो तो ज़रा.

नज़रों के बोल समझते हैं इतने भी नादान नहीं हम,
प्यार भरी नज़र से हमें भी कभी देखो तो ज़रा.

महबूब मानकर हमने तुम्हें इस दिल में बसाया है,
मोहब्बत से भरे दिल के जज़्बात को तुम समझो तो ज़रा...
contributed by Abhishek

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