हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले
अजनबी जैसे अजनबी से मिले
हर वफ़ा एक जुर्म हो गया
दोस्त कुछ ऐसी बेरुख़ी से मिले
फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग़ ही दाग़ ज़िन्दगी से मिले
जिस तरह वो हम से मिलते हैं
आदमी यूँ न आदमी से मिले .!
contributed by, Abhishek
अजनबी जैसे अजनबी से मिले
हर वफ़ा एक जुर्म हो गया
दोस्त कुछ ऐसी बेरुख़ी से मिले
फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग़ ही दाग़ ज़िन्दगी से मिले
जिस तरह वो हम से मिलते हैं
आदमी यूँ न आदमी से मिले .!
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