मुद्दतों बाद

मुद्दतों बाद वो सूरत जो दिखाई दी है,
दिल की धड़कन मुझे "आंखों" से सुनाई दी है,
शाम से जाग रही हैं,
वो निदासी "आँखें" डूबते चाँद ने खिड़की से बधाई दी है,
उस जनम में भी मुलाक़ात की उम्मीद नहीं इस जनम ने तो जनम भर की जुदाई दी है,
हमने पहले भी ये ख़्वाबों का सफर देखा है धुप इतनी थी के सेहरा ने दुहाई दी है!

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