आबलापा कोई ...

आबलापा कोई इस दश्त में आया होगा|
वर्ना आँधी में दिया किस ने जलाया होगा|

ज़र्रे ज़र्रे पे जड़े होंगे कुँवारे सज्दे,
एक एक बुत को ख़ुदा उस ने बनाया होगा|

प्यास जलते हुये काँटों की बुझाई होगी,
रिसते पानी को हाथेली पे सजाया होगा|

मिल गया होगा अगर कोई सुनहरी पत्थर,
अपना टूटा हुआ दिल याद तो आया होगा|

ख़ून के छींटे कहीं पोछ न लें रेह्रों से,
किस ने वीराने को गुलज़ार बनाया होगा|

contributed by, ABHISHEK

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