हम से एक रूठा हुआ शख्स न मना

हम से एक रूठा हुआ शख्स न मना
अभिषेक
...

लोग तो रूठी हुई तकदीर मना लेते हैं...
इकरार करते हैं अब मोहब्बत का वो भी
अभिषेक
जब दुनिया छोड़ के हम जाने लगे हैं
हम को मालूम था अंजाम-ऐ-मोहब्बत
अभिषेक
हमने आखरी हर्फ़ से पहले ही कलम तोड़ दिया

किया हुआ जो टूट गए हें सामने के चार दंत,
अभिषेक
फिर भी मुह खोल क्र मुस्कुराया करो
यह हम नहीं कहते घर वाले कहते हैं,
अभिषेक
के नींद मैं भी हम आपका नाम लिया करते हैं
रूठ जाने की अदा हम को भी आती है "अभिषेक"

काश होता कोई हम को भी मानाने वाला..!

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