मैं जहा तुम को बुलाता हुं



मैं जहा तुम को बुलाता हुं वहां तक आओ !


मेरी नज़रों से गुज़र कर दिल-ओ जाँ तक आओ ! ♥ ♥ ♥



फीर ये देखो की ज़माने की हवा है कैसी,


साथ मेरे मेरे फीरदौस-ए जवाँ तक आओ ! :-)



तेग की तरह चलो छोड़ कर आगोश-ए नियाम,


तीर की तरह से आगोश-ए कमा तक आओ !



फूल के गिर्द फीरो बाग़ में मानिंद-ए नसीम,


मिस्ल-ए परवाना किसी शाम-ए तपाँ तक आओ ! :-)



लो ! वो सदियों के जहन्नुम की हदे ख़त्म हुई,


अब फीरदौस ही फीरदौस जहा तक आओ ! :-)))



छोड़ कर वहेम-ओ गुमाँ हुस्न-ए यकीं तक पहुँचो ,


पर यकीं से भी कभी वहेम-ओ गुमाँ तक आओ !

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