ना "मुहब्बत", ना "दोस्ती के लिए, "वक़्त" रुकता नहीं किसी के लिए,
वक़्त के साथ-साथ चलता रहे, यही बेहतर है, "आदमी" के लिए ।
हर कोई "प्यार" ढूँढता है यहाँ, अपनी "तन्हा" सी ज़िन्दगी के लिए,
दिल को अपने सज़ा ना दे, यूँ ही, इस ज़माने की बेरुखी के लिए,
"वक़्त" रुकता नहीं किसी के लिए, ना "मुहब्बत", ना "दोस्ती के लिए ।।