दर्द से मेरे है

दर्द से मेरे है तुझ को बेक़रारी हाय हाय
क्या हुई जालिम तेरी गफलत शिआरी हाय हाय

तेरे दिल में गर न था आशोब-ए-गम का होसला
तुने फिर क्यों की थी मेरी गम गुसारी हाय हाय

क्यों मेरी गम ख्वारगी का तुझ को आया था ख़याल
दुश्मनी अपनी थी मेरी दोस्त-दारी हाय हाय

उम्रभर का तूने पैमान-ए-वफ़ा बाँधा तो क्या
उम्र को भी तो नहीं है पायदारी हाय हाय

ज़हर लगती है मुझे आब-ओ-हवा-ए-ज़िन्दगी
यानी तुझसे थी उसे ना-साजगारी हाय हाय

गुल फिशानिहा-ए-नाज़-ए-जलवा को क्या हो गया
ख़ाक पर होती है तेरी लाला-कारी हाय हाय

शर्म-ए-रुशवाई से जा छुपना नकाब-ए-खाख में
ख़त्म है उल्फत की तुझ पर पर्दादारी हाय हाय

खाक में नामुस-ए-पैमान-ए-मुहब्बत मिल गई
उठ गई दुनिया से राह-ओ-रस्म-ए-यारी हाय हाय

हाथ ही तेग़ आजमा का कम से जाता रहा
दिल पे एक लगने न पाया ज़ख्म-ए-कारी हाय हाय

इश्क ने पकड़ा न था ग़ालिब अभी वहशत का रंग
रह गया था दिल में जो कुछ जौक-ए-ख्वारी हाय हाय!

contributed by, Abhishek

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