दास्तान-ए-गम सुनाता कौन है


दास्तान-ए-गम सुनाता कौन है

नूर किसका झिलमिलाता चारसूं
कह -कषां मैं नजर आता कौन है

किस कदर फरहाद बनता कोहकन
कैस को मजनू बनाता कौन है.

बाँटता है शोखियां हूरों को जो
जन्नत -ओ -दोजख बनाता कौन है

कौन कातिल कौन मुंसिफ है यहाँ
दोस्तों को आज़माता कौन है

चांदनी तारे समंदर फसल -इ-गुल
फिक्र -ओ -फन अपने दिखाता कौन है

बुत-परस्ती कुफ्र है वाइज़ मगर
वादी-ए-एमन बनाता कौन है


दिन कियामत के मिला पैगाम यूँ
वादा -ए -मह्सर निभाता कौन है

किस को वो अपना कहे , तेरे सिवा
जख्म बिस्मिल के दुखाता कौन है....

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