कल रात फिर अश्को'न की बारिश हुई
बरसे ऐसे नामो पुरी उनकी मुदतो'न की प्यास हुई...
देख के उनको पत्थर भी पिघल जाता
पर इसलिए दुनिया दिल की वीरान हुई...
जीते जी तनहा है तनहइयो'न के बीच
ऐसे जैसे साँसे ही सीने पे एहसान हुई...
जब टूटेगी सांसो'न की डोर एक दिन
तब लगेगा हम पर भी शायद जिंदगी मेहरबान हुई...