सब कुछ सुन-न, कुछ न कहना, कितना मुश्किल है
तुमसे बिःअड के जिंदा रहना, कितना मुश्किल है
जिन राहों पर साथ चले थे हर मौसम में, साथी
उन राहों पर तनहा चलना, कितना मुश्किल है
क़दमों की रफ़्तार से आगे वक़्त यहाँ चलता है
शेहेर में अब लोगों से मिलना, कितना मुश्किल है
राशिद कितनी राहें बदलो पाऊँ बेहेक जाते हैं
मैखाने से बचके निकलना, कितना मुश्किल है !