कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वोह भी जुबानी मेरी
खलिश-ए-गम्जः-ए-खूँ-रेज़ न पूछ
देख खूं-नाबह-फिशानी मेरी
क्या बयां करके मेरा रोयेंगे यार
मगर आशुफ्ता बयानी मेरी
हूँ खुद रफ्तः-ए-बैदाह- ए-ख़याल
भूल जाना है निशानी मेरी
मुताक़ब्बिल है मुकाबिल मेरा
रुक गया देख रवानी मेरी
क़द्र-ए-संग-ए-सर-ए-रह रखता हूँ
सख्त अर्ज़ान है गिरानी मेरी
गिर्द-बाद-ए-राह-ए-बेताबी हूँ
सर सर-ए-शौक़ है बानी मेरी
दहन उसका जो ना मालूम हुवा
खुल गई हेच-मदानी मेरी
कर दिया जौफ ने आजिज़ ग़ालिब
नंग-ए-पीरी है जवानी मेरी!
contributed by, Abhishek
और फिर वोह भी जुबानी मेरी
खलिश-ए-गम्जः-ए-खूँ-रेज़ न पूछ
देख खूं-नाबह-फिशानी मेरी
क्या बयां करके मेरा रोयेंगे यार
मगर आशुफ्ता बयानी मेरी
हूँ खुद रफ्तः-ए-बैदाह- ए-ख़याल
भूल जाना है निशानी मेरी
मुताक़ब्बिल है मुकाबिल मेरा
रुक गया देख रवानी मेरी
क़द्र-ए-संग-ए-सर-ए-रह रखता हूँ
सख्त अर्ज़ान है गिरानी मेरी
गिर्द-बाद-ए-राह-ए-बेताबी हूँ
सर सर-ए-शौक़ है बानी मेरी
दहन उसका जो ना मालूम हुवा
खुल गई हेच-मदानी मेरी
कर दिया जौफ ने आजिज़ ग़ालिब
नंग-ए-पीरी है जवानी मेरी!
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