देखना किस्मत

देखना किस्मत की आप अपने पे रश्क आ जाए है
मैं उसे देखूं भला , कब मुझसे देखा जाए है !

हाथ धो दिल से येही गर्मी गर अंदेशे में है
आबगिनाह तुन्दी-ए-सह्बा से पिघला जाए है !

गैर को क्या रब वोह क्योंकर मनाए गुस्ताखी करे
गर हया भी उस को आती है तो शर्मा जाए है !

शौक़ को यह लत की दम नालाह खींचे जाइए
दिल की वोह हालत की दम लेने से घबरा जाए है !

दूर चश्म-ए-बद तेरी बज्म-ए-तरब से वाह वाह !
नगमा हो जाता है वां गर नालाह मेरा जाए है !

गरचे है तगाफुल पर्दा-दार-ए-राज़-ए-इश्क
पर हम ऐसे खोए जाते है की वोह पा जाए है !

उसकी बज्म आराइयां सुनकर दिल-ए रंजजुर यां
मिसल-ए-नक्श-ए-मुद्दआ-ए-गैर बैठा जाए है !

हो के आशिक वोह परी रुख और नाज़ुक बन गया
रंग खुलता जाए है जितना की उड़ता जाए है !

नक्श को उस के मुसव्विर पर भी क्या क्या नाज़ है
खींचता जाए है जिस कदर उतना ही खींचता जाए है !

साया मेरा मुझसे मिसल-ए-दूद भागे है "असद"
पास मुझ आतिश-बजां किस से ठहरा जाए है !



contributed by, Abhishek

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