सूनी थी गलियाँ

सूनी थी गलियाँ, तेरे जाने के बाद,
जहाँ मुस्कुराता था चाँद, तेरे होने के बाद ।

गुजरता हूँ, जब भी उस गली से कभी,
खामोश डगर रोये, मुस्कुराने के बाद ।।

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